गुरुवार, 13 जनवरी 2011

बच्चों की कहानी: सीख


 
ये कहानी है राजनगर की ,वहाँ एक बड़े ही संम्पन्न और धार्मिक व्यक्ति सेठ मुरली प्रसाद अपने पूरे परिवार सहित निवास करते थे .उनके परिवार में कुल सात लोग थे .पर हर दिन उनके यहाँ करीब पचीस तीस लोगों का भोजन पका
करता .आप पूछेंगे "ये बाकी के लोग कौन हैं?”तो बस इतना जान लीजिए की केवल सेठ जी ही नहीं उनकी पत्नी भी बड़े ही धार्मिक और सात्विक विचारों वाली महिला थीं बिलकुल माँ अन्नपूर्णा की ही अवतार थीं नाम था राधा रानी .
आये दिन उनके घर मेहमानों,रिश्तेदारों का आना जाना लगा रहता.कोई कोई तो काम से आते पर कुछ निट्ठल्ले
बस यूँ ही जमे रहते अब इसे सेठजी की दरयादिली कहें या राधा देवी के हाथों बने लजीज खाने का लालच,समझिए
सालों साल से ये सब यूँ ही होता चला आ रहा थाइतना ही नहीं उनके घर में कुछ पशुओं का भी डेरा था.दो गाय एक तोता एक कुत्ता और एक घोडा भी उनके यहाँ बड़े सुख से रहते थे.ये सब तो काम के थे .कुछ बिना काम के भी थे जैसे की उनके घर में रहने वाले चूहे .वे भी उनके घर में कई पुश्तों से रहते चले आ रहे थे जिन्हें सेठ जी के घर के लोग अच्छी तरह से नहीं जानते थे.
सेठ जी के पूज्य पिता स्वर्गीय गोपाल प्रसाद जी के दादाजी जैसलमेर से यहाँ पधारे थे .तबसे ये लोग यहीं के
वासी हो गए थे.जब स्वर्गीय सेठ दुर्गा प्रसाद यहाँ अपने लाव लश्कर समेत आरहे थे उस वक्त ऊंटगाडी में एक बोरे के
अंदर चूहों का एक पूरा परिवार भी शामिल था.यहाँ पहुँच कर घर में सामान जब खुला तब ये सारे भाग कर किसी
कोने कबाड में अपना कब्ज़ा जमा लिएऔर इस तरह इन चूहों के भी कई पुश्त इनलोगों के साथ अपना बसेरा जमाए हुए
थे .अभी तक तो सब कुछ बहुत अच्छा से चल रहा था खाने को भरपूर मिलता .जीव हत्या इस घर में पाप माना जाता था सो ये सब खूब मजे से रहते थे.
राधा रानी यूँ तो बड़ी ही धार्मिक ख्यालों की थीं पर उनकी भी एक बुरी आदत थी वो ये की उन्हें टीवी देखने का नशा था.खास तौर पर शाम आठ से ग्यारह बजे रात तक उस समय में टीवी के सामने वे बिलकुल चिपक कर बैठी रहतीं चाहे उनकी बूढी ननद काशी बाई लाख चिल्लाती गालियाँ निकालतीं रहें उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता .उनके दोनों बेटे और दोनों बेटियाँ इस आदत का खूब फायदा उठाते.जो कुछ भी मांगना हो या कहीं जाना हो माँ से इसी समय फरमाईश करते वो भी झट से मान लेतीं ताकि तंग न करेंबेटे दोनों बड़े थे एक का नाम अमर और दुसरे का आनंद था.बेटियों का नाम हीरा और पन्ना था.वैसे बच्चों में कोई बुरी आदतें नहीं थीं बस कुछ शरारती थेकाशी देवी को टीवी जरा भी नहीं सुहाता था कारण उनकी आँखे और कान दोनों ही ठीक से काम नहीं करते थे तो वे इसका आनंद नहीं उठा पातीं थीं सो उन्हें टीवी से बड़ी चिढ थी .
अब कहानी में कुछ बदलाव लातें हैं .चूहों का जो परिवार था उसके मुखिया का नाम चंदू था पत्नी का धन्नो,तथा उनके तीनो बच्चे जिनका नाम था देवा और नीता,गीता,तीनो बड़े होनहार थे  चंदू भी अपने सेठ जी के जैसा ही सीधा साधा था धन्नो को बस अपने परिवार की चिंता रहती थी क्योंकि उसके तीनो ही बच्चे थोड़े अनोखे थे.चंदू और धन्नो के लाख समझाने पर भी तीनो के तीनो कोई बात नहीं मानते अपनी मन का करते बेचारे माँ बाप इस वजह से बड़े दुखी रहते थेसेठजी के घर में एक जिम बना हुआ कमरा था जिसमे सेठजी और उनके बेटे एक्सरसाईज किया करते थे,अपने देवा महराज को भी ये शौक लग गया था .आपने कभी किसी चूहे का जिम में कसरत करते सुना हैमैंने तो नहीं सुना.देवा ट्रेड मील पर दौड़ लगाता या उठक बैठक करता बाकि तो उसके बस का नहीं था.पर इतने से ही खूब डीलडौल बना लिए था पट्ठे ने.अब सुनिए दोनों चुहियों का कारनामा ,नीता को सेठानी का कमरा पसंद था क्योंकि वहाँ उसे अपना मन पसंद डांस का प्रोग्राम टीवी पर देखने को मिलता था जिसे देख देख कर वो भी अच्छी डांसर बन गयी थी .शो देखने के बाद जम कर प्रेक्टिस भी तो करती थी..अब बची गीता ,ये थोड़ी अलग कैरेक्टर की है इसे सेठानी के पूजा घर से इतना लगाव है की ये वहाँ से कहीं जाती ही नहीं ,भला क्यों जाए ?एक तो गणेश जी की परम भक्त थी दूसरा खाने को ऐसा लाजवाब प्रसाद मिल जाता था .पूजा घर में मंदिर के जैसा पवित्र वातावरण और सुगंध मिलता था इन सब बातों के अलावे भी
एक खास वजह थीजिसके कारण वो काशी देवी की धमकी और गालियाँ भी आराम से सुनती थी.गणेश भगवान केचरणों में जो उनका वाहन मूसक जी विराजते थे गीता उन्हें अपना पति मानने लगी थी उन्हें निहारती रहती .उसकी माँ धन्नो बेचारी सर पीट कर रह जाती उसके इस मूर्खता पर .समझाती भी पर वो कुछ समझना ही नहीं चाहती थी .पर एक अच्छी बात गीता ने सीखी थी यहाँ रहने की वजह से उसे भजन कीर्तन गाना खूब अच्छे से आ गया था.
समय ऐसे ही गुजरता रहा .सेठ जी की छोटी बिटिया पन्ना ने गर्मी की छुट्टी होने पर घर के पास खुले कला केन्द्र में डांस सीखने का कोर्स ज्वायन कर लिया था.कुछ दिन सीखने के बाद एक दिन उसकी माँ ने उसे डांस करके दिखाने को बोला.जब वो नाच रही थी तब नीता को भी मन किया अपना डांस सब को दिखाने का ,भाई अच्छेकलाकार को वाहवाही भी तो चाहिए .सब लोग चाय नाश्ता के साथ पन्ना का डांस देख रहे थे की अचानक पंखे औरझूमर पे लटक कर तरह तरह के पोज में नीता ने डांस करना शुरु किया .किसी का उसपर जब नजर पडा तो वो सब को दिखलाया अब सब उसे भगाने के लिए कई तरह से कोशिश करने लगे पर नीता तो नाचने में मगन थी ,फिर किसी ने पंखा का बटन दबा दिया नीता रानी सीधे चाय के गर्म प्याले में डुबकी लगाने लगी.उस दिन तो उसे मरने से बचा लिया गया सेठानी की दया से वरना तो राम नाम सत् हो जाता. कुछ दिनों के बाद जब नीता पूरी तरह ठीक हो गयी थी और चुपचाप उदास बैठी थी तो उसकी माँ ने कहा "कबतक यूँही बैठी रहोगी कुछ करती क्यों नहीं?” “क्या करूँ मैं " “क्यों इतना अच्छा डांस तुम्हे आता है कुछ नहीं तो अपना एक डांस स्कूल खोल लो जिसमे अपने जैसे डांस पसंद करने वालों चूहों चुहियों को बुला कर सिखाना शुरु कर दो.” खुशी से फुदक कर नीता माँ के गले लग बोली माँ तुमने तो मुझे जीने का रास्ता दिखा दिया में ये जरुर करुँगी.”
एक दिन सेठ की दूसरी बेटी हीरा मेले से एक बिल्ली खरीद कर ले आयी .बड़ी ही सुन्दर बिल्ली थी .खूब चमकीले काले रेशमी बाल थे उसके जब म्याऊं म्याऊं करती तो सब को खूब मजा आता दोनों बहनों में तो उसे गोद लेने के लिए झगडा भी हो जाता थाइस घर में पूर्णिमा के दिन भगवान को खीर का भोग लगता था इस बार भी लगाया गया.किट्टी को यानि बिल्ली को जब खीर का सुगंध लगा तो वो पूजा घर के आस पास मंडराने लगी किसी को न देख जल्दी से पूजा घर में घुस गयीखीर के साथ साथ मोटी ताज़ी चुहिया पर जब नजर पड़ा तो उसके मुह से लार टपक गया अरे वाह भगवान के घर में आज मेरी दावत है सोचा खीर तो है ही पहले इस चुहिया को ही खा लूँ नहीं तो भाग न जाये .पर कहते है न की मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है किट्टी ने गीता को अपने मुह में पकड़ लिया
था गीता असहाय की तरह अपने पति देव से बचाने के लिए गुहार लगा रही थी प्रभु अपनी भक्ति का ये कैसा फल देरहे हैंकी तभी प्रभु ने सचमुच अपने भक्त की पुकार पर बचाने के लिए काशी बुआ को भेज दिया.वैसे तो काशी बुआठीक से देख नहीं पाती हैं पर आज उन्हें शायद कोई दिव्य दृष्टि मिल गया था अंदर घुसते ही उन्हें ये सब दिख गया फिरतो हाथ का लोटा फेक कर जो मारा सीधे जाकर किट्टी को जोर से लगा "पूजा घर में शिकार करेगी वो भी हमारे यहाँ?
किट्टी का जबड़ा खुला का खुला ही रह गया गया और गीता जान प्राण लेकर भागी सीधे माँ के पास .उसने कसम खाई की अब से माँ के साथ रहेगी पूजा घर में तो भूल कर भी नहीं जायेगीबताईये तो जिस भगवान ने बचाया उसी के पास न जाने का प्रण ये तो घोर कलजुग है भाई.उसकी माँ ने उसे प्यार से अपने पास बैठाया फिर कहा "तुम्हे सही ढंग से जीना सीखना पड़ेगा,मेरे पास हर समय तो नहीं रह सकती हो " ”तो मैं क्या करूँ पूजा घर में तो अब नहीं जा सकती हूँ " "जा क्यों नहीं सकती हाँ सावधानी रखना जरुरी है वैसे भी हम चूहों को हमेशा सावधान रहना चाहिए तभी लंबी उम्र तक जी सकते हैं ,” “तो मैं क्या करूँ माँ?” ”देख नीता एक डांस स्कूल खोल रही है तुम भी उसी में गाना सिखाया करना,सब कहतें हैं और मुझे ,तेरे पापा को भी तेरा गाना बड़ा ही सुरीला लगता है.नीता ने भी कहा हाँ दीदी तुम्हारा गाना वाकई में बहुत अच्छा लगता है हम दोनों मिलकर स्कूल चलाएंगे तो काफी लोग सिखने आजायेंगे.
देवा की भी कहानी सुन लीजिए .इधर सेठ जी को किसी ने योगा करने के लिए कहा बड़े फायदे भी गिनाए उसके तब सेठ जी ने एक योगा के गुरु को रख कर सीखना शुरु कर दिया .अपने देवा कोई कम थोड़े हैं वे भी पूरे लगन के साथ सिखने लगे कुछ ही दिनों के बाद उन्हें थोड़ा थोड़ा योगा आ गया था. एक दिन योगा करने के बाद देवा शवासन में लेटे थे पता नहीं शायद सो गए थे इसी से उन्हें पता ही नहीं चला की सेठ जी का सेवक आकर कब साफ सफाई करने लगा था .अचानक सफाई करने के दौरान आसावधानी वश वजन उठाने वाला एक छल्ला गिरा और लुढकते हुए से सीधे देवा की पूँछ परसे गुजर गया.मत पूछिए बेचारे देवा का हाल उसकी तो पूंछ ही नहीं रही .बिना दुम के चूहे की क्या इज्जत रह जाती है .अब तो नया पूंछ जब तक आएगा तब तक बेचारा अंडरग्राउन्ड ही रहेगा.मुसीबत आयी
तब जाकर समझ आया की माँ बाप सही कहते थे, “बेटा इंसानों के बीच बहुत नहीं जाना चाहिए खतरा रहता है.कुछ दिनों के आराम के बाद जब नया पूँछ भी आगया तो उसने अपने पापा से कहा "पापा इतने दिनों तक जो भी सीखा है उसे व्यर्थ नहीं होने देना चाहता हूँ इस लिए अब सोच रहा हूँ की मै भी अपने बहनों के स्कूल में ही चूहों को कसरत और योगा सिखाऊँ आप क्या कहते हैं?” “बेटा आज तुमने बड़ी ही समझदारी की बात की है मैं बहुत ही खुश हूँ तुम तीनों को हमारा आशीर्वाद है खूब उन्नति करो तुम लोग.इस तरह तीनों को जिंदगी जीने की सही सीख मिल गयी.अब सबलोग सुख से हैं.

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