शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

मेरी पहली कविता --- उदास मैना


एक मैना थी चंचल नादान एक तोता था बड़ा ही बुद्धिमान 
किस्मत ने उन्हें साथ किया एक दुसरे से बांध दिया 
       मैना कसमसाई उसे ये बात कुछ खास पसंद नहीं आयी 
पर तोते ने उसे बहुत प्यार दिया जिन्दगी संवार दिया 
       फिर तो दोनों ने मिलकर बड़ा काम किया एक सुन्दर से 
घोसले का निर्माण किया कुछ समय बाद मैने  की जीवन में 
        दो नन्हे हरियल तोते आये सबने साथ मिलकर खुशियों के 
गोते लगाये कुछ समय बाद बड़े हो गए नन्हे तोते अपनी अपनी मैना 
           को ले साथ दोनों ने भरली बड़ी दूर उड़ान गायब हो गयी 
मैना की मुस्कान तब तोते ने समझाया क्यों उड़ गया चेहरे का नूर 
            यही तो है दुनिया का दस्तूर फिर मै तो हूँ न तब क्या पता था 
ये साथ भी जल्दी ही छुट जायेगा किस्मत उस से रूठ जायेगा 
             अब तो मैना की है एक ही आस कोई आएगा जो उसे उसके    
 तोते के पास ले जायेगा क्या वो दिन कभी  फिर आयेगा  जब दोनो
  होंगे साथ क्या सच हो सकता है ये बात ?